Fate science - or Fate Science - You Can Also Be Lucky
कुछ किताबें मनोरंजन के लिए लिखी जाती हैं; कुछ ज्ञान वर्धन के लिए। कुछ पाठकों को शिक्षित करती हैं और कुछ उन्हें उल्लासित करती हैं।
अंकशास्त्र कि कलडीन शोध शैली पर आधारित, यह पुस्तक “साइंस डे ला फार्च्यून” पाठकों को यह सभी प्रदान करती है। देश के इस भाग में, अंकशास्त्र के जनक माने जाने वाले लेखक की यह अपनी कृति है। पंडित सेथुरमन द्वारा 1954 में प्रथम रचित, इसके तमिल संस्करण ने विश्व में एक सनसनी पैदा की। 2018 तक यह पुस्तक बिना किसी संवर्धन व विज्ञापन के 30 बार पुनः प्रकाशित हुई। पंडित सेथुरमन के विश्वविख्यात पुत्र व शिष्य, श्री वी एस गुरुस्वामी ने इसका अंग्रेजी अनुवाद “साइंस ऑफ फार्च्यून” लिखा, व कुछ रोचक अध्याय तथा चित्रण भी उसमें जोड़े। यह अनुवाद 2003 में किया गया और 2018 तक इसके 14 संस्करण बिना किसी प्रचार के विक्रय हुए। अंको की रहस्यमई भूमिका पर गहन अध्ययन और शोध द्वारा, लेखक ने इस पुस्तक में व्यक्ति के जीवन में जन्मतिथि व नाम से संबंधित घटनाओं को अंक शास्त्र से जोड़ा है। ज्योतिषशास्त्र के इतिहास में पहली बार पंडित सेथुरमन ने अंक 52 से आगे और 108 तक, अपने निष्कर्ष परिणाम दिए। उनका यह अध्ययन प्राचीन ग्रंथों व आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है। इस पुस्तक में वे समझाते हैं कि व्यक्ति के नाम के अक्षरों की व्यवस्था उसकी जन्मतिथि के अनुसार हो। तथा यह ज्ञान व्यक्ति को उसकी गतिविधियों के सही समय की जानकारी भी देता है। अपने भाग्य को सुधारने हेतु यह पुस्तक, उत्तम समय की गहन जानकारी भी प्रस्तुत करती है। लेखक इस बात पर जोर डालते हैं कि अपने नाम को जन्म तिथि के अनुसार रखने से, एक व्यक्ति अपना दुर्भाग्य भी भाग्य में परिवर्तित कर सकता है। चिकित्सकों से हताश व्यक्ति अपने दुर्गम रोग से राहत पा सकता है। लेखक के विस्तृत ग्राहकों में कई राजा, आम नागरिक, मंत्री, वैज्ञानिक व उद्योगपति भी शामिल हुए और अपने जीवन में इस सिद्धांत को सफलता पाने हेतु सत्य साबित होते देखा। इस ई-बुक की रचना का उद्देश्य अंक शास्त्र की गूढ़ विद्या को दूर दराज के इलाकों में पहुंचाकर सभी व्यक्तियों को शांति और समाधान देना है। “साइंस डे ला फार्च्यून” पुस्तक, ऐसे व्यक्तियों के लिए एक विश्वसनीय व तैयार अध्ययन है जो अंक शास्त्र के विज्ञान में रुचि रखते हैं।